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व्याज को समझना क्यों जरुरी है

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व्याज क्या होता है?

व्याज को इंग्लिश में इंटरेस्ट कहा जाता है – “I N T E R E S T”

और आपने अपनी चौथी या पाचवी क्लास में “इंटरेस्ट” के बारे में जरुर पढ़ा होगा, और इसलिए आप पहले से इस बात को जरुर समझते होंगे की व्याज क्या होता है,

लेकिन आज हम  इंटरेस्ट को, प्रैक्टिकल example के साथ ये समझने की कोशिस करेंगे और जानेंगे कि आखिर अर्थव्यस्था, पर्सनल फिनानंस और इन्वेस्टमेंट में व्याज को कैसे काम में लिया जाता है ?

व्याज , Economy का आधार है.

इंटरेस्ट यानी व्याज हमारी अर्थव्यवस्था का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है,

ये कहा जा सकता है कि अगर अर्थ्यव्यस्था हमारी इकॉनमी से व्याज को निकाल दिया जाये, अर्थव्यवस्था पूरी तरह से विखर जाएगी,

अर्थव्यवस्था की शुरुआत ही Interest से होती है,

आइए जानते है कैसे –

आपने देखा, चुनाव यानि इलेक्शन होने पर हमारे राजनेता बड़े बड़े वादे करते है, रोड बनायेंगे, विजली लायेंगे, ये करेंगे वो करेंगे,

लेकिन वे ये कभी नहीं बताते कि – ये सब करने के लिए वे पैसे कहा से लायेंगे ?

दोस्तों कोई भी सरकार, चाहे वो मोदी सरकार हो या मनमोहन की सरकार, ये लोग जो भी काम करते है, उसके लिए इनके पास पैसे लेने के दो मुख्य तरीका है –

पहला है – टैक्स

और दूसरा है – कर्ज यानि लोन

अब जब देशी या विदेशी बैंक या आम जनता से, सरकार जो भी कर्ज लेती है – वो कर्ज इस वादे के साथ लिया जाता है, कि कर्ज को व्याज के साथ एक निश्चित समय के बाद वापस चूका दिया जायेगा,

फिर सरकार उस कर्ज से, जनता को किये वादे पूरा करती है, और जनता से उस काम के बदले टैक्स लेती है, और उस टैक्स का इस्तेमाल, जनता के लिए किये जाने वाले काम और लिए गए कर्जो को व्याज के साथ वापस चुकाती है,

तो इस तरह हमारी पूरी अर्थव्यस्था – व्याज के वादे पर कर्ज लेने के साथ शुरू होती है, और ये सिलसिला लगातार चलता जा रहा है,

आइये अब ये जानते है कि  – व्याज का इस्तेमाल आम जिंदगी में कैसे होता है ? और व्याज यानि इंटरेस्ट को सही तरह से समझना क्यों बहुत जरुरी हो जाता है,

व्याज का इस्तेमाल आम जिंदगी में कैसे होता है ?

व्याज यानि इंटरेस्ट, वो एक्स्ट्रा कीमत है, वो अतिरिक्त पैसा होता है,

जो किसी से उधार लेने पर, एक्स्ट्रा कीमत के रूप में चुकाया जाता है , और व्याज को हमेशा प्रतिशत यानि परसेंटेज के रूप में कैलकुलेट किया जाता है,

जैसे – मान लीजिए, राहुल ने बैंक से 10 हजार रूपये का कर्ज 12 प्रतिशत वार्षिक रेट से लिया,

इसका मतलब राहुल ने जो 10 हजार रूपये उधार लिए है, उस 10 हजार रूपये को तो बैंक को वापस करना ही है, साथ में उस 10 हजार का हर साल 12 % यानि 10 हजार के साथ 1200 रूपये और अतिरिक्त व्याज के रूप में देना होगा,

10 हजार के साथ इसी अतिरिक्त १२०० रूपये को व्याज कहा जाता है,

एक और example लेते है –

मान लीजिए, किशोर ने बैंक में  10 हजार रूपये को 8 प्रतिशत वार्षिक रेट से फिक्स्ड डिपाजिट में जमा किया,

इसका मतलब किशोर ने जो 10 हजार रूपये बैंक को एक साल के लिए उधार दिया है, जिसके बदले बैंक उस 10 हजार रूपये के साथ हर साल 8 % यानि 10 हजार के साथ 800 रूपये अतिरिक्त व्याज के रूप में किशोर को देगी,

10 हजार के साथ मिलने वाले इस अतिरिक्त 800 रूपये को भी व्याज यानी इंटरेस्ट कहा जाता है,

अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आप समझ पाएंगे कि –

इंटरेस्ट इनकम यानि आमदनी भी होता है, और दूसरी तरफ Interest एक खर्च भी होता है,

अगर आप Interest कमा रहे है, तो व्याज आपके लिए इनकम होता है, जैसे कि – किशोर बैंक में 10 हजार रूपये जमा करके Interest कमा रहा है, और इसलिए किशोर के लिए ये व्याज एक इनकम है,

दूसरी तरफ अगर आप Interest दे रहे है, यानि आप इंटरेस्ट का पेमेंट कर रहे है तो, व्याज आपके लिए खर्च बन जाता है,

जैसे कि – राहुल ने बैंक से उधार लिया है, और उस पर हर साल १२०० रूपये का व्याज चुकाना होता है तो राहुल के लिए व्याज खर्च बन जाता है,

यानि –Interest यानि इंटरेस्ट इनकम है, अगर आप उसे कमा रहे है,

और Interest खर्च होता है, अगर आप Interest चूका रहे है,

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Interest को समझना क्यों जरुरी है

Interest एक फाइनेंसियल शब्द है, जो एक काफी बड़ा टॉपिक है, और इस टॉपिक को एक विडियो में कवर कर पाना मुश्किल है,

लेकिन मै इस विडियो के माध्यम से इतना कहना चाहता हु कि –

किसी भी तरह के निवेश, या बिज़नस शुरू करने से पहले, आपको व्याज की अच्छी जानकारी होने से आप बेहतर फाइनेंसियल decison ले सकते है,

निवेश या बिज़नस में लाभ के लिए आपको , हमेशा बेहतर फाइनेंसियल decison लेने होते है, और बेहतर फाइनेंसियल decison के लिए आपको फाइनेंस के इस बेसिक कांसेप्ट व्याज के बारे में अच्छी समझ होना बहुत जरुरी है,

जैसे –

मान लीजिए –

दीपक ने किशोर को 2 लाख रूपये 1 साल के लिए उधार दिया, और किशोर ने बिलकुल सही समय यानि १ साल बाद दीपक को 2 लाख रूपये जो उधार लिया था, वापस कर दिया,

अब आप बताइए कि – दीपक ने १ साल के लिए किशोर को 2 लाख रूपये दिया, और दीपक को १ साल बाद 2 लाख रूपये वापस मिल जाते है,

तो क्या दीपक को किसी तरह का नुकसान हुआ या नहीं?

इस प्रश्न का जवाब है – जी हा, दीपक को नुकसान हुआ है, और वो नुकसान ये है कि – दीपक को 2 लाख के बदले 2 लाख रूपये ही मिले,

क्योकि अगर दीपक उस 2 लाख को किसी बैंक में १ साल के लिए फिक्स्ड डिपाजिट करता, तो उसे बैंक 8% के व्याज दर से दीपक को 2 लाख १६ हजार रूपये वापस करती,

जबकि किशोर ने सिर्फ 2 लाख रूपये ही वापस किये,

इस तरह दीपक को इस केस में १६ हजार का कम से कम नुकसान हुआ है,

इस example से मै ये बताने की कोशिस कर रहा हु कि – अगर आपका पैसा, किसी निवेश में समय के साथ बढ़ नहीं रहा है, या आपने जो पैसा बिज़नस में लगाया है,

वो बढ़ नहीं रहा है तो इसका मतलब आपको बैंक से मिलने वाले Interest के बराबर का नुकसान हो रहा है,

और इसे कहते है – opportunity loss, व्याज कमाने के अवसर का नुकसान,

जैसे – हमने पिछले example में देखा, दीपक का 2 लाख रूपये १ साल बाद भी 2 लाख ही है, इस तरह से उसे opportunity loss यानि मिनिमम व्याज कमाने के अवसर का नुकसान हो रहा है,

इसलिए मै आपको समझाना चाहता हु  कि –

किसी भी तरह के निवेश या बिज़नस शुरू करने से पहले आप Interest को बहुत अच्छी तरह से जरुर समझे,

क्योकि व्याज को अच्छी तरह से समझने पर ही आप अच्छे या बुरे निवेश या अच्छे या बुरे बिज़नस को पहचान सकते है,

और फिर बेहतर फाइनेंसियल decison लेकर आप अपने पैसे से अधिक पैसा बना सकते है,

निवेश के लाभ और बैंक से मिलने वाले सामान्य व्याज की तूलना

अगर आपका निवेश या आपका बिज़नस उतना भी लाभ नहीं दे रहा है, जितना कि बैंक आपको हर साल दे रही है,

तो क्या ये बेहतर नहीं होगा कि –

आप उस निवेश या उस बिज़नस में लगाया गया पैसा, बैंक में रख दे, ताकि आपको बिना काम किए भी Interest का लाभ मिलता रहे,

बिलकुल, और यही सही है,

निवेश एक बहुत व्यक्तिगत विषय है, इसके लिए आपको बहुत सोच समझकर और अपने फाइनेंसियल सलाहकार सलाह लेने के बाद ही कोई फैसला करना चाहिए,


उम्मीद करता हु, आप समझ पाए होंगे कि -निवेश या बिज़नस के लिए  Interest को समझना क्यों जरुरी है,

और अगर POST अच्छा लगा तो अपने सवाल या विचार को कमेंट में जरुर लिखिए ,

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