Residual Income Hindi Meaning
Residual Income का हिंदी अर्थ है – अवशिष्ट आय, आइए आज के इस पोस्ट में Residual Income के बारे में डिटेल में बात करते है, इस पोस्ट में हम जानेंगे कि –
- Residual इनकम क्या होता है ?
- Residual इनकम का कांसेप्ट या approach किस प्रकार काम करता है ?
- Residual इनकम और पैसिव इनकम में क्या अंतर है ?
- Residual इनकम का क्या महत्व है, इसे समझना क्यों जरुरी है ?
आइए सबसे पहले बात करते है –
Residual Income क्या होता है?
Residual इनकम को आसान भाषा में शुद्ध इनकम कहा (Net Income) कहा जा सकता है,
Residual इनकम को दो तरह से परिभाषित किया जा सकता है
Residual इनकम की पहली परिभाषा –
आम तौर पर जो भी हम इनकम कमाते है उस इनकम में से बहुत सारे अनिवार्य खर्च हमें हर महीने करने पड़ते है, जैसे होम लोन की EMI या किसी अन्य कर्ज (Loan) की क़िस्त, और उसके बाद जो पैसे बचते है उसमे से हमें अपने परिवार के जीवन यापन के लिए भी खर्च करने पड़ते है,
इस तरह हर महीने हमें जो इनकम प्राप्त होता है उसमे से सभी अनिवार्य खर्च (कर्ज) को चुकाने के बाद बचे हुए इनकम को ही Residual इनकम यानी शुद्ध इनकम माना जाता है.
Residual Income =
मासिक शुद्ध आय (Monthly Net in Hand Income) – Monthly Debts (मासिक कर्जे का भुगतान)
जैसे – अगर X को हर महीने 25 हजार रूपये हर महीने इन हैण्ड सैलरी मिल रही है तो X की मासिक नेट इनकम है – 25 हजार
और X को हर महीने 16 हजार रूपये होम लोंन की क़िस्त और अन्य अनिवार्य खर्च को चुकाने में खर्च करने पड़ते है, तो इस तरह X की Residual इनकम होगी = 25000-16000 = 9000
आगे बात करेंगे कि – इस तरह के कैलकुलेशन का क्या इस्तेमाल है ? आइए पहले Residual इनकम के दुसरे परिभाषा के बारे में बात करते है –
Residual इनकम की दूसरी परिभाषा –
दूसरी परिभाषा के अनुसार Residual Income वह इनकम होता है, जो हम एक्टिव रूप से काम नहीं करते है तब भी वह इनकम हमें प्राप्त होता रहता है –
जैसे – किताब लिखने, फिल्म बनाने, म्यूजिक या फोटोग्राफी या फिल्म बनाने से होने वाली रोयल्टी इनकम, घर दुकान या प्लाट किराये पर देंने से होने वाला इनकम,
इस तरह आप देखेंगे कि – दुसरे परिभाषा के अनुसार Residual Income को काफी हद तक पैसिव इनकम के जैसे ही माना जाता है,
आइए अब देखते है कि –
Residual इनकम का कांसेप्ट या approach किस प्रकार काम करता है?
Residual Income की पहली परिभाषा के अनुसार जो नेट इनकम निकाला जाता है, इसका मुख्य इस्तेमाल इस बात को समझने के लिए किया जाता है कि – किसी व्यक्ति के नेट इनकम के अनुसार उसमे हर महीने कुल कितने रूपये की और कर्ज चुकाने की क्षमता है,
इस तरह अगर आप जब भी किसी बैंक आय संस्था से लोन लेने जाते है, तो आपसे आपकी इनकम प्रूफ मांगने के साथ बैंक या संस्था आपसे आपके सभी अन्य लोन के स्टेटमेंट भी मांगती है, और बैंक या संस्था आपके नेट इनकम यानि Residual Income के आधार पर ही यह तय करती है आपको कितना लोन दिया जा सकता है, जो आप अपने इनकम से चूका सकते है,
Residual इनकम और पैसिव इनकम में क्या अंतर है ?
Residual इनकम और पैसिव इनकम में काफी समानताये है और दूसरी परिभाषा तो बिलकुल उसी कांसेप्ट में बात करती है जिस आधार पर पैसिव इनकम का कांसेप्ट काम करता है.
लेकिन अगर आप Residual इनकम की पहली परिभाषा के आधार पर बात करे तो Residual इनकम और पैसिव इनकम में काफी अंतर दीखता है, इस आधार पर हमें ये समझ आता है कि – Residual इनकम एक कैलकुलेशन है जिसका मकसद शुद्ध इनकम की जानकारी प्राप्त करना होता है,
जबकि पैसिव इनकम का इनकम के पैसिव सोर्स पर बात करता है
अब आइए समझते है कि –
Residual इनकम का क्या महत्व है, इसे समझना क्यों जरुरी है ?
residual इनकम को समझना कई कारणों से बहुत समझना जरुरी हो जाता है, जैसे –
- आपकी लोन लेने की करंट क्षमता क्या है?
- आपकी नेट इनकम क्या है , जिसके ऊपर आप अपनी बचत या अन्य निवेश की प्लानिंग कर सकते है.
- आपके पास किस तरह के इनकम के सोर्स है,
ध्यान रखिए , दुनिया में सबसे अमीर लोग सिर्फ और सिर्फ पैसिव और residual income के आधार पर ही अमीर बने है.
इसे भी पढ़े –
- एक्टिव इनकम और पैसिव इनकम को समझाने वाली कहानी
- पर्सनल फाइनेंस क्या होता है?
- इनकम क्या होता है?
- Types Of Income
तो दोस्तों,
आज के इस पोस्ट में मैंने आपसे Residual INcome के बारे में बात की, आप इस पोस्ट से जुड़े अपने विचार या सवाल नीचे कमेंट करके जरुर बताये .
पोस्ट पूरा पढने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.