No one is crazy
No one is Crazy कोई भी पागल नहीं है
कोई भी इतना मुर्ख नहीं है, जैसा – सुनने में लगता है, या देखने में लगता है,)
The Psychology of Money यानि पैसे का मनोविज्ञान,
Chapter 1
पिछले Part में हमने दिस्कस किया था कि –
अच्छे अच्छे समझदार पढ़े लिखे, ब्रिलियंट लोग भी पैसे के मामले में, इन्वेस्टिंग, बिज़नस या ट्रेडिंग के मामले में इस तरह के फैसले लेते है, ऐसे काम करते है, जो उन्हें बिल्कुल नहीं करनी चाहिए,
और इस तरह चाहे कोई आम आदमी हो या खास आदमी या बहुत बड़ा ब्रिलियंट आदमी, पैसे के मामले में, खर्च के मामले में, इन्वेस्टिंग के मामले में जो काम उन्हें नहीं करनी चाहिए, जो गलती उन्हें नहीं करनी चाहिए, वो गलती करते रहने से अक्सर अंत में वे अपने पुरे पैसे बर्बाद कर लेते है,
तो अब यहाँ पर सवाल ये आता है कि – ऐसा क्यों ?
क्यों लोग ऐसा क्या करते है ? क्या लोग क्रेजी है पागल है जो ऐसा करते है ,
तो जवाब है – जी नहीं, No one is Crazy,
कोई भी इतना पागल नहीं कि वो अपने आपको बर्बाद करने वाले फैसले लेगा, और अपने आपको बर्बाद कर लेगा…बल्कि असली सच्चाई, असली समस्या और प्रॉब्लम तो ये है कि –
जिस वक्त आदमी फैसले लेता है, उस वक्त उसका अपना वो उसका बेस्ट फैसला होता है,
जी हा, बेशक हो सकता है कि किसी और की नजर में वो फैसला गलत हो,
लेकिन जो आदमी जब फैसला ले रहा होता है, उस वक्त उसके हिसाब से, उसकी नजर में वो अपने हिसाब से सबसे सही फैसला लेता है,
आप सोचिए कि – अगर वो अपने इस फैसले को गलत समजता तो वो ये गलत फैसला नहीं लेता,
जैसे – आपने एक देशी कहावत ये भी सुनी होगी ,
विनाश काले विपरीत बुद्धि
यानि, आदमी को जब बर्बाद होना होता है तो उस वक्त उसे वो सब सही लगता है, जो वास्तव में गलत है,
असली खेल उस मोमेंट का है, जिस मोमेंट में वो फैसला हो रहा होता है,
अगर आप ध्यान से देखे –
तो किसी को भी पागल इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योकि जब कोई आदमी आदमी जो गलत फैसले लेता है, या ले रहा होता है, उस वक्त उस मोमेंट में उसे गलत नहीं लगता,
उसे सब सही लगता है, तभी तो फैसले लेता है, तभी तो वो लेन देन करता है, पेपर sign करता है या चेक फाड़ता है, पैसे ट्रान्सफर करता है, या पैसे खर्च करता है,
और आप ये भी देखेंगे कि – जब कुछ गलत हो जाता है तो वही आदमी जब बाद में अपने उस फैसले को देखे तो हो सकता है उसे अफ़सोस करते देखा जा सकता है कि –
उसने ऐसा कह्यो किया ?
वहा पे पैसे क्यों खर्च किया ?
उसको पैसे क्यों दिया ?
वहा पैसे क्यों लगाये ?
ऐसा क्यों किया ?
वैसा किया ?
यानि – असली बात जो समझने वाली है कि – जिस मोमेंट में, जिस पल में , जिस वक्त ,जिस समय में आदमी फैसले लटा है उस वक्त उसकी नजर में वो सही होता है, वो अपने हिसाब से सही फैसला लेता है …
ये तो बाद में, समय बीतने के बाद ही पता चलता है कि – उसका फैसला गलत था…या सही था.
यानि कि-
कोई परसों चाहे कितना भी कुछ पागलपन जैसी चीज करे ..किसी पर्सन को पागल या क्रेजी इसलिए नहीं कहा सकता –
क्योकि उसकी नजर में जो सही है …वो वही तो करता है ..
तो इसमें गलत क्या है ? या पागलपन क्या है ?
क्योकि एक दूसरा और बड़ा सच ये है कि –
ये बिल्कुल भी जरुरी नहीं है कि-
जो आपके लिए सही फैसला हो …वो मेरे लिए भी सही फैसला हो ..
और जो मेरे लिए सही फैसला हो, वो आपके लिए भी सही फैसला हो
यानी,
हो सकता है –
जो मेरी नजर में सही है , हो सकता है आपकी नजर में गलत हो,
और ये भी हो सकता है कि – जो आपकी नजर में सही हो, वो मेरी नजर में गलत हो,
वास्तव में, ये सब अपने अपने Personal experience का गेम है,
जी हा, सारा खेल, सारा गड़बड़ इस Personal experience का है है ….
और और इसी बारे में ऑथर मिस्टर मॉर्गन होउसेल अपनी बुक the psychology of money के पहले चैप्टर में बताते है और कहते है कि –
Your personal experiences with money make up maybe 0.00000001% of what’s happened in the world, but maybe 80% of how you think the world works,
मतलब ये है कि – हम सभी पैसे के साथ अलग अलग व्यवहार करते है, और हम वही करते है जो हमारा इस दुनिया के साथ एक्सपीरियंस होता है, जो हमारे अपने हिसाब से सही होता है,
न कि दुनिया में क्या हो रहा है,या दुनिया क्या कह रही है,
हमें लगता है कि – पैसा हमने कमाया है, हमारा पैसा है, हम चाहे जो करे, हम किसी और की क्यों सुने ?
हम अपनी मर्जी को चुनते है, अपनी भावनाओ, अपनी इक्क्षाओ, अपनी पर्सनल परेफरेंस को ही प्राथमिकता देते है,
और उसी हिसाब से पैसे खर्च करते है,
और इसलिए आप देखेगें कि –
लोग अपने पैसे के साथ, चाहे पैसे कमाना, पैसे खर्च करना, इन्वेस्ट करना हो, बिज़नस करना हो , तो लोग ऐसी ऐसी पागलो जैसी चीज करते है, कि हम सोच भी नहीं सकते,
जैसे –
लोग पैसे कमाने के लिए झूठ बोलते है, छल कपट करे है, धोखा देते है, कुछ भी करते है,
इसी तरह बहुत सारे लोग पैसे को इस तरह से खर्च करते है, ऐसी ऐसी चीजो पे खर्च करते है, दुसरे लोगो कि नजर में वो पागल ही नजर आयेंगे…
जैसे – लाटरी खरीदना, सिगरेट, तम्बाकू, शराब, या नशीली चीजो पे पैसे खर्च करना …
इसके अलावा कुछ लोग – महंगे महंगे फोन या गैजेट खरीदना, गाड़ी खरीदना, और दूसरी बहुत सारी चीजे खरीदते है, जो दुसरे लोगो की नजर में पागलो जैसा ही काम है,
इसी तरह बहुत सारे लोग पैसे के मामले में, खर्च करने के मामले में इतने कंजूस होते है, लोग उन्हें भी पागल ही समझते है,
इसी तरह जब कुछ लोग हमेशा जब फिक्स्ड डिपाजिट या डेब्ट फण्ड में ही निवेश करते है, तो दुसरे लोग उन्हें पागल और बेवकूफ़ ही समझते है,
और ऐसे ही जो लोग स्टॉक मार्केट में निवेश करते है, उन लोगो को भी वे लोग पागल ही समझते है जो ये मानते है कि स्टॉक मार्केट में लोग बर्बाद हो जाते है,
अब सवाल ये है कि – इसमें कौन सही है और कौन गलत,
तो जो लोग पैसे के साथ जो गैरकानूनी चीजे करते है, वो तो गलत है , इसमें कोई शक नहीं है,
लेकिन …
अगर आप ओवर आल पैसे के साथ आदमी के व्यव्हार की बात करे कि – आखिर लोग इतनी अजीब अजीब चीजे करते क्यों है ? जहा उन्हें खर्च नहीं करना चाहिए वहा खर्च क्यों करते है, जहा उन्हें इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए, जिसमे उन्हें पैसे नहीं लगाने चाहिए, उसमे वे लगाते क्यों है ?
क्या लोग सच में पागल है, क्रेजी है ?
तो इसका जवाब ये है – नहीं, कोई भी पागल नहीं है, क्रेजी नहीं है,
जैसा हमने पहले देखा…और समझा कि – इन्सान के साथ प्रॉब्लम ये है कि-
कि जिस वक्त वो ये कर रहे होते है, उस वक्त उन्हें वो सही लगता है, तभी वो करते है, भले ही दुसरो कि नजर में पागलपन हो, गलत हो, लेकिन उनकी नजर में वो सही होता है,
आइये, अब ये जानते है कि –
इसके पीछे जो Human psychology क्या है, क्यों उस मोमेंट में ऐसा फैसला करते है, जो उन्हें नहीं करना चाहिए ?
तो इसके पीछे पहला सबसे बड़ा कारण है – personal real-life experience, और knowledge को प्राथमिकता देने कि इंसान कि psychology,
जी हा…
आप देखेंगे कि –
जब भी हमें कोई फैसला करना होता है, तो हमारे पास दो चीजे होती है,
पहला होता है –
First Hand Knowledge – जिसे आप personal real-life experience कह सकते है,
और दूसरा होता है – Second hand knowledge – जो हमे books, या दुसरे लोगो, दुसरे सोर्स से मिलता है,
और यहाँ पर Human psychology और Human behavior ये है कि – पैसे के मामले में आदमी खुद के रियल लाइफ एक्सपीरियंस को सबसे पहले प्राथमिकता देता है,
80% से ज्यादा फैसले आदमी खुद के अपने First Hand Knowledge – personal real-life experience, के अनुसार ही लेता है, और उसे जो ठीक लगता है वही करता है,
और जो सेकंड हैण्ड knowledge है, जो किताबो में लिखी गई है या जो दुसरे लोग का जो ज्ञान है, उसको वो बहुत कम सिर्फ 20 % या उस से कम ही प्राथमिकता देता है, और किताबो या दुसरो के नॉलेज को वो अक्सर साइड में रख कर ही अपने फैसले लेता है,
और हमारे फैसले के पीछे personal real-life experience का सबसे बड़ा हाथ होता है,भले ही हमारा personal real-life experience गलत हो या सही,
लेकिन उसका बहुत बड़ा असर हमारे डे to डे लाइफ में पड़ता है, और इसी कारण अक्सर अच्छे खासे पढ़े लिखे समझदार लोग भी फ़स जाते है,
क्योकि समझदार लोग भी भले ही जानते है कि – क्या सही है, और क्या उन्हें करना चाहिए, सारा बुक का ज्ञान, और सारा टेक्निकल ज्ञान उन्हें होता है,
और क्योकि उनको रियल लाइफ में उन चीजो का एक्सपीरियंस नहीं होता है, कम होता है, जो एक्सपीरियंस होता है वो पर्याप्त नहीं होता है, और जब करने की बारी आती है तो वो अपने उसी आधे अधूरे पर्सनल एक्सपीरियंस को ही प्राथमिकता देते हुए, अपने ओवर कॉन्फिडेंस या फिर अपने EGO या दुसरे पर्सनल एक्सपीरियंस या भावनाओ को बीच में लाकर ऐसे फैसले लेते है जो उन्हें नहीं लेना चाहिए,
और इस कारण से समझदार से समझदार लोग भी पर्सनल अनुभव कि कमी के कारण बहुत खराब फैसले ले लेते है, जिसका उन्हें बाद में नुकसान झेलना पड़ता है,
इसलिए, पर्सनल एक्सपीरियंस बहुत ही ज्यादा जरुरी हो जाता है,
सबसे ख़ास बात ये है कि – जिस तरह से हम सबके नाम अलग अलग है, वैसे ही हम सबके एक्सपीरियंस भी अलग अलग है, जो आप जानते है, वो मै नहीं जानता, जो मै जानता हु वो आप नहीं जानते है ,
जो दुनिया का एक्सपीरियंस आपका है वो मेरा नहीं और जो मेरा दुनिया का एक्सपीरियंस का है वो आपका नहीं है,
जो चीजे मैंने अपनी लाइफ में , अपने घर में , अपने परिवार में, अपने स्कूल में , अपने कॉलेज में , अपने कंपनी , अपने बुसिएन्स्स में, अपने इन्वेस्टिंग लाइफ में मैंने देखी है, वो आपने नहीं देखि…
और जो अआपने देखि है वो मैंने नहीं देखि…
हम सभी अलग अलग जगह से है…और इस बहुत बड़ी दुनियां में हमारा रियल लाइफ एक्सपीरियंस बहुत ही छोटा सा है, और इसलिए जैसा आप इस दुनिया के बारे में पर्सनल एक्सपीरियंस हिसाब से सोचते है, देखते है, समझते है, उसी हिसाब से आप फैसले लेते है,
और जैसा मै समझता हु वैसा मै फैसला लेता हु…
न आप पागल है ..न मै पागल हु..और न कोई और…सारा गेम पर्सनल एक्सपीरियंस का…
लोगो को जो ठीक लगता है वो करते है …
तो अब अगर मै अपनी बात को summarize करू तो इस विडियो का लेसन ये है कि –
लोग पैसे के साथ बहुत अजीब अजीब पागलो जैसे चीजे करते है …लेकिन कोइ भी पागल नहीं है ..
हर इन्सान का अपना uniqe एक्सपीरियंस है और वो उसी हिसाब से फैसले लेता है ..
जिस मोमेंट में इन्सान फैसले लेता है, उस वक्त को इन्सान पर्सनल एक्सपीरियंस को बहुत ही ज्यादा प्राथमिकता देता है …और सच्चाई को कई बार नहीं सुनता है , या अपने मन पे कण्ट्रोल खो देने के कारण वो सच्चाई को समझना नहीं चाहता …
जो भी हो …इन्सान अपने हिसाव से उस मोमेंट में सही फैसले ही लेता है…भले ही बाद में उसका रिजल्ट सही हो या सही …
अगर फैसला लॉजिकल है , और सच्चाई को समझते हुए , पर्सनल भावनाओं, जैसा डर, लालच और आशावाद को अलग रख के जो फैसला लिया गया है …मतलब इस तरह के फैसले से सफलता मिलने के ज्यादा चांस है …
लेकिन अगर फैसला, भावनाओ के हिसाब से डर, लालच और आशावाद, या ईगो में लिया गया है तो उसके फ़ैल होने के बहुत ज्यादा चांस है …
तो लेसन यही है कि –
आपको पैसे के बारे में फैसला करते समय, काफी सावधान रहने कि जरूरत है …भले ही पैसा आपका है …लेकिन आपके कुछ गलत फैसले से , आपके हाथ से पैसे किसी और के हाथ में जाने में देर नहीं लगेगी..और अपने डर , लालच , झूठे आशावाद और ईगो के कारण आप गलत फैसले ले कर सारा पैसा गवा सकते है ..
इसलिए,
अपने दिमाग के लॉजिक के ऊपर, अपने दिल , अपने और अपनी भावनाओ को हावी न होने दे…बहुत सोच समझ कर लॉजिकल फैसले लेना सिखे…