कर्ज के जाल में फसने से कैसे बच सकते है-
दोस्तों, अंग्रेजी की एक बहुत फेमस Quote है –
“Prevention is better than cure”
जिसका हिंदी में मतलब है –
“बीमारी से बचे रहना, बीमारी हो जाने के बाद इलाज कराते फिरने से बेहतर है,”
और चुकी –
“कर्ज के जाल” यानी “DEBT TRAP” में फसना और घुट घुट कर जीना एक भयंकर बीमारी की तरह ही है,
और इसलिए आज के इस पोस्ट में , मै आपको 7 ऐसे तरीके बताऊंगा, जिसको अमल में लाकर, आप इस “कर्ज के जाल” की बीमारी से बचे रह सकते है,
कर्ज के जाल में फसने से बचने के 7 तरीके (7-way-to-get-out-of-debt)
कर्ज के जाल में फसने से बचने के ये तरीके आसान है, सिंपल है, जरुरत है इन तरीको याद रखते हुए, अमल में लाने की, अब आइये इन सात तरीको को एक एक करके डिटेल में जानते है,
1 – REGULAR पैसे की बचत करना,
सुनने में कितना सिम्पल लगता है ना, रेगुलर पैसे की बचत करना,
जी हा, यकीन मानिए, आप इस सिंपल तरीके को अमल में लाकर भी कर्ज के जाल में फसने से बच सकते है,
आप कहेंगे कैसे –
तो आप ही मुझे बताइए,
“कि कोई आदमी कर्ज लेता कब है?”
तो जवाब है, “जब उसके पास पैसे की कमी होती है?”
और फिर सवाल ये है कि – “उसके पास पैसे की कमी क्यों होती है?”
तो जवाब यही होगा कि –
“वह आदमी रेगुलर पैसे की बचत नहीं करता है, या बचत करने में लापरवाही करता है”,
और इस तरह रेगुलर बचत नहीं करने, और बचत के महत्व को IGNORE करने से,
आम आदमी के पास कभी एक या दो महीने के सैलरी के बराबर भी, उसके बैंक अकाउंट में पैसे नहीं रहते है,
और फिर, जब आदमी का बैंक अकाउंट और जेब इस तरह खाली रहता है, और उसके पास अपनी खुद की कोई सेविंग नहीं होती है,
तो आदमी को ना चाहते हुए भी, किसी भी तरह की कोई जरुरत पड़ने पर उसे उधार और कर्ज लेना ही पड़ता है,
और फिर इस तरह, कर्ज लेने की एक बार शुरुआत हो जाती है,
और फिर, अगर वह आदमी नहीं संभाला, और अपने बचत पे ध्यान नहीं दिया, तो धीरे धीरे उस आदमी का कर्ज के जाल में फसना तय हो जाता है,
तो इसलिए,
कर्ज के जाल में फसने से बचने के लिए, आपको “रेगुलर पैसे की बचत” जरुर करना चाहिए,
कर्ज से बचे रहने का ये पहला और बहुत ही आसान तरीका है, आप इसके महत्व को IGNORE न करे,
साथ ही, मै आपको पैसे की बचत का, बेस्ट तरीका बताना चाहूँगा –
और पैसे की बचत का, वह बेस्ट तरीका है –
INCOME – SAVING(कम से कम 10%) = EXPENSES
यानी, आपकी इनकम चाहे कितनी ही कम क्यों ना हो,
आपको अपने आमदनी का पहला हिस्सा कम से कम 10 %, सेविंग के नाम पर सबसे पहले अलग रखना है,
और बाकी बचे हुए पैसे से अपने खर्चे, आपकी बजट के अनुसार करना है,
2. EMERGENCY FUND बनाना,
इमरजेंसी सिचुएशन जैसे – नौकरी छुट जाना, हॉस्पिटल का खर्च, अचानक कार रिपेयरिंग, या कही अचानक जाने की जरुरत पड़ना,
अक्सर, इस तरह के किसी इमरजेंसी सिचुएशन में, ना चाहते हुए भी कर्ज लेने पड़ते है, और बाद में उस कर्ज को चुकाने में हमारा बाकी बजट गड़बड़ हो जाता है,
फिर एक कर्ज को भरने के लिए दूसरा, और दुसरे को भरने के लिए तीसरा और कुछ ऐसा ही सिलसिला बन जाता है,
कि आदमी ना चाहते हुए भी कर्ज के जाल में फस जाता है,
तो इसलिए,
कर्ज के जाल में फसने से बचने के लिए, आपको अपने पैसे की बचत से सबसे पहले इमरजेंसी फण्ड की व्यस्था करनी चाहिए,
आपके पास अपने हर महीने के खर्च के 6 गुना रकम, का इमरजेंसी फण्ड, होना ही चाहिए, ताकि आप इमरजेंसी के समय आपको किसी से उधार या कर्ज न लेना पड़े,
जैसे – अगर आपके हर महीने का खर्च 15 हजार रूपये है, तो आपके पास इमरजेंसी फण्ड के लिए 15 हजार का 6 गुना यानी 90 हजार रुपया होना चाहिए,
3. बजट बनाना,और आमदनी तथा खर्च के बीच संतुलन बनाना,
आपने एक देसी कहावत जरुर सुना होगा – आमदनी अट्ठानी और खर्चा रुपैया,
यानी आदमनी से अधिक खर्च करने वाले लोगो का कर्ज के जाल में फसना लगभग तय होता है, उन्हें कोई नहीं बचा सकता,
इसलिए अगर आप कर्ज के जाल में फसने से बचना चाहते है, तो आपको अपनी आदमनी और खर्च के बीच एक बैलेंस बनाना होगा,
खर्चो को आदमनी से थोडा कम ही रखना होगा,
ताकि आप थोड़ी अधिक पैसे की बचत भी कर सके,
जैसे – अगर आपकी सैलरी 10 हजार है, तो आपका खर्च 9 हजार रूपये ही होना चाहिए, और 1 हजार रूपये आपकी सेविंग होनी ही चाहिए,
याद रखिए – अगर आप जॉब में है तो आपकी सैलरी बार बार नहीं बढ़ सकती, लेकिन अगर आपने अपने खर्चे पर कण्ट्रोल नहीं किया, तो आपकी सैलरी चाहे कितनी भी हो, वो खर्च करने के लिए हमेशा ही कम पड़ जाएगी,
और इसलिए, कर्ज के जाल में फसने से बचने के लिए- आपकी आमदनी और बचत के बीच एक बैलेंस जरुर होना चाहिए,
और आदमनी और खर्च के बीच संतुलन बनाने का काम करता है – बजट ,
और इसलिए आपको कर्ज से बचने के लिए –बजट जरुर बनाना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए,
4. फाइनेंसियल प्लानिंग (FINANCIAL PLANNING),
अगर आपके पास कोई प्रॉपर फाइनेंसियल प्लान नहीं है,
यानि, अगर आप ठीक ठीक नहीं जानते है कि – आपको फ्यूचर में कब कितने पैसे लगने वाले है, और वो पैसे कहा से और कैसे आयेंगे,
तो आप कर्ज के जाल में बड़ी आसानी से फस सकते है, और इस तरह के बड़े कर्ज से बाहर निकलने में आपको कई साल लग सकते है,
फाइनेंसियल प्लानिंग का मतलब है – अपनी फ्यूचर की जरुरत की प्लानिंग,
जैसे – घर लेना, गाडी लेना, बच्चो की पढाई , उनका खर्च, बच्चो की शादी, रिटायरमेंट, बीमारी का खर्च, और एमरजेंसी का खर्च,
फ्यूचर में हमारी जरूरते क्या होगी और कितनी होगी, इसका ठीक ठीक अंदाजा लगाने में अक्सर लोग चुक जाते है,
और यही कारण है – कि अगर घर में शादी होती है तो पैसे कम पड़ जाते है और कर्ज लेना पड़ता है,
इसके आलावा चाहे बच्चो की पढ़ाई, उनके दुसरे खर्च हो, बाइक खरीदना हो, लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल, या फिर आपको एक अच्छा घर लेना हो, चार लेनी हो,
इस तरह के खर्च के लिए अक्सर हमें कर्ज लेना पड़ता है, क्योकि इन खर्चो के लिए ज्यादा पैसे की एक साथ जरूरत होती है,
तो अगर आप,
कर्ज के जाल में फसने से बचना चाहते है, तो आपको, अपने फ्यूचर में लगने वाले खर्चो की प्रॉपर फाइनेंसियल प्लानिंग बनानी होगी,
यह फाइनेंसियल प्लान आपको बताएगा कि – आपकी बड़ी बड़ी जरूरतो को पूरा करने के लिए पैसे कहा से और कैसे आयेंगे,
दोस्तों,
फाइनेंसियल प्लानिंग के बारे में, मै आपको अपने आने वाले किसी और पोस्ट में डिटेल में बताऊंगा,
फ़िलहाल यहाँ आपको इस बात को समझना जरुरी है कि – कर्ज के जाल में फसने से बचने के लिए आपके पास प्रॉपर फाइनेंसियल प्लान होना ही चाहिए,
5. फाइनेंसियल समझ का उपयोग,
फाइनेंसियल समझ से मतलब है, आप कर्ज लेते समय अपने दिमाग का इस्तेमाल करे और अपनी जरूरत,और अपने इक्क्षा और फिजूलखर्ची के अंतर को समझे, –
और कर्ज लेते समय आपको कुछ इस तरह के प्रश्न भी पूछने चाहिए –
जैसे – अगर आप एक कार लेना चाहते है?और उसके लिए आप बैंक से कर लोन लेना चाहते है?
तो आपको ये सोचना और समझना होगा कि –
क्या आप जो कर्ज ले रहे है – क्या कार सच में आपकी जरुरत है या आपकी इक्क्षा ?
अगर कार आपकी जरूरत है तो कार का कौन सा मॉडल आपके बजट में फिट बैठता है,
यानि आप कार का कौन सा मोडल और उसका खर्च AFFORD कर सकते है?
क्या कार का मेंटेनेस खर्च, पेट्रोल खर्च आपके बजट के लिए ठीक है या फिजूलखर्ची,
क्या आप जो कार ले रहे है, क्या वह कार अपने पडोसी और रिश्तेदारों को दिखाने के लिए ले रहे है ?
क्या आपके उस कार लोन लेने से आपको सच में फायदा होने वाला है?
या कही ऐसा तो नहीं कि – कर्ज लेने के बाद आपके ऊपर, एक्स्ट्रा खर्च को बोझ आ जायेगा,
अगर आप कर्ज लेते समय, इस तरह से अपने फाइनेंसियल समझ का उपयोग करते है, और सिर्फ उसी कर्ज को लेते है, जो आपकी जरूरत को पूरा करती है, और जो कर्ज आप अपने बजट से आसानी से चूका सके तो ये आपके लिए बेहतर होगा,
और आप कर्ज के जाल में फसने से बच सकते है,
याद रखिए –
अगर आपको कोई चीज खरीदने से पहले बार बार आपके मन में बजट ख़राब हो जाने का डर आ रहा है, तो वह खर्च और उसके लिए लिया जाने वाला कर्ज आपके लिए बोझ बन जायेगा,
6. कर्ज की रकम और कर्ज के ऊपर व्याज का दर दोनों कम से कम होना चाहिए,
कभी कभी ऐसा हो सकता है कि – आप बिलकुल सही काम के लिए कर्ज ले रहे हो, और आपको कर्ज लेने से बहुत अधिक फायदा भी होने वाला है,
तो ऐसे में उस कर्ज से आप किसी कर्ज के जाल में फसने से बच सके, इसके लिए बहुत जरुरी है कि –
आप अगर लोन लेते है, यानी कर्ज लेते है तो, कम से कम कर्ज ले, जितना कम हो सके, आपका कर्ज उतना कम ही होना चाहिए,
और ऐसे में एक और इम्पोर्टेन्ट बात आती है – कर्ज के ऊपर लगने वाले व्याज के रेट की,
आप कोशिस करीए – कि आप जो लोन ले रहे है या जो कर्ज ले रहे है, उस पर व्याज दर कम से कम हो,
कर्ज के जाल से फसने से बचने के लिए,
कम से कम व्याज दर का नियम हमेशा याद रखीए,
और ऐसे में अगर आपने पहले ही कोई कर्ज लिया हुआ है, तो उस कर्ज का व्याज दर कैसे कम कर सकते है, इसके बारे में जरुर विचार करते रहीए,
क्योकि, – कर्ज के जाल में फसने का एक बहुत बड़ा रीज़न होता है – महंगे व्याज दर कर्ज लेना,
इसलिए,
आपको, कर्ज के जाल में फसने से बचने के लिए – इन दो बात को जरुर ध्यान रखना चाहिए –
पहला – आपके लोन का अमाउंट कम से कम हो,
दूसरा – आपके लोन पर लगने वाला व्याज दर भी कम से कम हो,
7. आपके पुरे कर्ज का कुल EMI आपके इनकम के 25% से ज्यादा नहीं होने चाहिए,
यानी, अगर आप कर्ज के जाल से बचे रहना चाहते है तो इस नियम को जरुर याद रखीए –
आप जितना भी कमाते है, उसका अधिक से अधिक 25% हिस्सा ही आपको अपने कर्ज को चुकाने में इस्तेमाल करना ठीक माना जाता है,
जैसे – अगर आपकी सैलरी है 20 हजार, तो 20 हजार सैलरी का 25% होगा – 5 हजार,
तो ये ५ हजार रूपये ही, आपके सभी कर्ज और उसके EMI का टोटल होना चाहिए,
चाहे – होम लोन ही क्यों न हो,
और अगर आपका कुल EMI, आपकी इनकम के 25% से ज्यादा है, तो आपको दो काम करने होंगे –
पहला ये कि – या तो अपनी इनकम बढ़ाने का पूरा प्रयास करीए, ताकि आपकी कुल EMI का टोटल आपके 25% इनकम से कम हो जाये,
और दूसरा ये कि – आपको अपने कर्ज की EMI को किसी भी तरह से कोशिस करके 25% से कम कर लो
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आशा है, इस पोस्ट में बताये गए तरीको को आप जरुर याद रखेंगे, और इन तरीको का इस्तेमाल करके कर्ज के जाल में फसने से बच सकेंगे,
आप अपने कमेंट और सुझाव और सवाल नीचे लिख सकते है,
धन्यवाद